Story of Lalbaugcha Raja in Hindi: मुंबई का प्रसिद्ध लालबागचा राजा

मुंबई का “लालबागचा राजा” गणेश चतुर्थी के अवसर पर सबसे प्रसिद्ध गणपति प्रतिमाओं में से एक है। हर साल इस प्रतिमा के दर्शन के लिए लाखों लोग आते हैं, और यह गणपति उन सभी भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है जो सच्चे मन से पूजा करते हैं। लालबागचा राजा को “नवसाचा गणपति” भी कहा जाता है, जिसका मतलब है “जो सबकी इच्छाओं को पूरा करता है।”

इस ब्लॉग में हम story of Lalbaugcha Raja in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे और इस पवित्र उत्सव के पीछे की कहानी पर नजर डालेंगे।

Story of Lalbaugcha Raja in Hindi

लालबागचा राजा की शुरुआत 1934 में हुई थी, जब स्थानीय मछुआरों और व्यापारियों ने भगवान गणेश से प्रार्थना की थी कि वे उन्हें एक स्थायी बाजार दिलाएं। उनकी यह प्रार्थना पूरी हुई और इसके बाद उनके आभार स्वरूप गणेश चतुर्थी के समय लालबागचा राजा की प्रतिमा स्थापित की गई।

यह कहानी सिर्फ आस्था की नहीं, बल्कि समुदाय की एकता और दृढ़ निश्चय की भी है। लालबागचा राजा का स्थापना काल 1934 से शुरू होता है, और तब से यह गणपति मुंबई के सबसे बड़े सार्वजनिक गणेश उत्सव का केंद्र बन गया है। भक्तगण इस प्रतिमा के दर्शन के लिए न केवल मुंबई बल्कि देशभर से आते हैं, और हर कोई भगवान गणेश से अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करता है। यही वह खास कहानी है जो story of Lalbaugcha Raja in Hindi के महत्व को उजागर करती है।

लालबागचा राजा की प्रतिमा और कारीगर

लालबागचा राजा की प्रतिमा का निर्माण कंबली परिवार द्वारा किया जाता है। इस परिवार की कई पीढ़ियां इस प्रतिमा को बनाने का काम करती आई हैं। पहली बार इस परिवार ने 1935 में लालबागचा राजा की प्रतिमा बनाई थी, और तब से लेकर अब तक यह परंपरा जारी है। कंबली परिवार इस प्रतिमा को बड़े ही समर्पण और निपुणता के साथ तैयार करता है।

हर साल यह प्रतिमा करीब 18 से 20 फीट ऊँची होती है और इसे पारंपरिक परिधानों में सजाया जाता है। खास बात यह है कि यह प्रतिमा इतनी विशिष्ट है कि इसकी प्रतिकृति बनाना भी मुश्किल होता है। कंबली परिवार का यह काम पूरे मुंबई में प्रसिद्ध है, और हर साल इस प्रतिमा का रूप और आकार थोड़ा-थोड़ा बदलता है, जिससे भक्तों की उत्सुकता बनी रहती है।

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Story of Lalbaugcha Raja in Hindi

गणेश चतुर्थी का उत्सव

लालबागचा राजा के दर्शन करने के लिए हर साल गणेश चतुर्थी पर भारी भीड़ उमड़ती है। यह उत्सव 11 दिनों तक चलता है और इसके दौरान भक्तों के लिए अलग-अलग प्रकार की व्यवस्थाएं की जाती हैं। भक्तगण घंटों तक लाइन में खड़े होकर इस प्रतिमा के दर्शन करते हैं। मुख्यत: दो लाइनें होती हैं – एक “नवसाची लाइन,” जिसमें भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, और दूसरी “मुख दर्शन लाइन,” जो सामान्य दर्शन के लिए होती है।

Story of Lalbaugcha Raja in Hindi में इस बात का जिक्र होता है कि किस प्रकार इस गणेशोत्सव का महत्व भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है। भक्तगण दिन-रात इस प्रतिमा के दर्शन करने आते हैं और भगवान गणेश से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।

विसर्जन का महत्व

गणेश चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है, जब 11 दिन की पूजा के बाद लालबागचा राजा का विसर्जन किया जाता है। यह विसर्जन समारोह मुंबई के सबसे बड़े और लंबे जुलूसों में से एक होता है। इस जुलूस के दौरान भक्त भगवान गणेश की आराधना करते हुए उनके विसर्जन स्थल तक जाते हैं, जहां प्रतिमा का समुद्र में विसर्जन किया जाता है।

लालबागचा राजा का विसर्जन अपने आप में एक महान आयोजन है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं। “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों के बीच यह उत्सव समाप्त होता है, और अगले वर्ष फिर से गणेश जी की वापसी की प्रतीक्षा की जाती है।

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Lalbaugcha Raja 2024

कोविड-19 के बाद का उत्सव

2020 में कोविड-19 महामारी के कारण लालबागचा राजा का उत्सव सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया जा सका। यह पहला ऐसा अवसर था जब यह प्रसिद्ध गणेशोत्सव स्थगित करना पड़ा। हालांकि, 2024 में इस उत्सव की धूमधाम फिर से लौटने वाली है, और इस वर्ष लालबागचा राजा का 91वां वर्ष मनाया जाएगा।

भक्तों की आस्था और उल्लास अब पहले से कहीं अधिक बढ़ चुके हैं, और सभी लोग इस बार के उत्सव में भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए उत्सुक हैं। Story of Lalbaugcha Raja in Hindi में इस तथ्य को भी शामिल किया जा सकता है कि कैसे भगवान गणेश ने महामारी के कठिन समय में भी लोगों के दिलों में आशा बनाए रखी।

Story of Lalbaugcha Raja in Hindi के आम सवाल-जवाब

लालबागचा राजा का क्या महत्व है?
लालबागचा राजा मुंबई के लालबाग क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध गणेश प्रतिमा है, जिसे विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के समय पूजा जाता है। इसे इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है और हर साल लाखों लोग इसके दर्शन के लिए आते हैं।

लालबागचा राजा की स्थापना कब हुई थी?
लालबागचा राजा की स्थापना 1934 में हुई थी, जब मछुआरों और व्यापारियों ने भगवान गणेश से अपने बाजार के लिए प्रार्थना की थी।

लालबागचा राजा की प्रतिमा कौन बनाता है?
कंबली परिवार इस प्रतिमा का निर्माण करता है और 1935 से लेकर अब तक यह परंपरा जारी है।

लालबागचा राजा के दर्शन के लिए कितनी देर लाइन में खड़ा होना पड़ता है?
भक्तों को घंटों तक लाइन में खड़ा रहना पड़ सकता है, खासकर “नवसाची लाइन” में जहां लोग विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

विसर्जन कब होता है?
गणेश चतुर्थी के 11वें दिन, अनंत चतुर्दशी के दिन लालबागचा राजा का विसर्जन किया जाता है।

निष्कर्ष

लालबागचा राजा गणेश चतुर्थी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह उत्सव आस्था, भक्ति और समुदाय की एकता का प्रतीक है। Story of Lalbaugcha Raja in Hindi के माध्यम से हमें इस उत्सव की गहराई और भगवान गणेश के प्रति लोगों की अटूट आस्था को समझने का अवसर मिलता है।

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